राजस्थान के चुरू जिले में स्थित सालासर बालाजी मंदिर भगवान हनुमान के सबसे प्रसिद्ध और चमत्कारिक मंदिरों में से एक है। यह मंदिर न केवल अपनी अद्वितीय मूर्ति, बल्कि अपने ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के लिए भी जाना जाता है। आइए, इस पावन स्थल के हर पहलू को विस्तार से जानें:
सालासर बालाजी मंदिर का ऐतिहासिक महत्व और प्राकट्य कथा

वर्ष 1755 (विक्रम संवत् 1811):
असोटा गाँव का चमत्कार: नागौर जिले के असोटा गाँव में एक किसान अपने खेत में हल चला रहा था। अचानक हल एक पत्थर से टकराया, जिसके नीचे से हनुमान जी की दाढ़ी-मूँछ वाली मूर्ति प्रकट हुई।
स्वप्न आदेश: उसी रात, असोटा के ठाकुर और सालासर के संत मोहनदास जी महाराज को स्वप्न में बालाजी ने आदेश दिया कि मूर्ति को सालासर ले जाया जाए।
मूर्ति की यात्रा: मूर्ति को बैलगाड़ी में रखकर सालासर भेजा गया। बैल एक रेत के टीले पर रुक गए, जहाँ श्रावण शुक्ल नवमी, शनिवार को मूर्ति की स्थापना हुई।
वर्ष 1759 (विक्रम संवत् 1815):
मंदिर निर्माण: संत मोहनदास जी ने नूर मोहम्मद और दाऊ नामक दो मुस्लिम कारीगरों से मंदिर बनवाया। यह सांप्रदायिक सौहार्द का अनूठा उदाहरण है।
जीवित समाधि: मोहनदास जी ने विक्रम संवत् 1850 (सन् 1794) में अपने शिष्य उदयराम जी को मंदिर की जिम्मेदारी सौंपकर जीवित समाधि ले ली। आज भी मंदिर परिसर में उनकी समाधि और अखंड ज्योति श्रद्धालुओं को आकर्षित करती है।
सालासर बालाजी मंदिर की विशेषताएँ और धार्मिक महत्व

दाढ़ी-मूँछ वाली मूर्ति: यह भारत का एकमात्र मंदिर है जहाँ हनुमान जी की दाढ़ी और मूँछ वाली मूर्ति विराजमान है। मान्यता है कि मूर्ति का यह स्वरूप स्वयं मोहनदास जी को स्वप्न में दिखाई दिया था।
मनोती का नारियल: भक्त अपनी मनोकामना पूर्ति के लिए “मनोती” के रूप में नारियल बांधते हैं। इन नारियलों को किसी अन्य कार्य में नहीं लिया जाता, बल्कि मंदिर परिसर में ही रखा जाता है।
प्रमुख भोग:
बाजरे का चूरमा: वही चूरमा जो किसान ने मूर्ति प्रकट होने पर चढ़ाया था।
बूंदी के लड्डू: बालाजी का सबसे प्रिय भोग।
पेड़े और बेसन की बर्फी: भक्त इन्हें सवामणी के रूप में चढ़ाते हैं।
सालासर बालाजी मंदिर कैसे पहुँचें?

सड़क मार्ग:
मुख्य शहरों से दूरी:
सुजानगढ़: 24 किमी
सीकर: 57 किमी
जयपुर: 168 किमी
बीकानेर: 190 किमी
बस सेवा: राजस्थान सड़क परिवहन निगम (RSRTC) की बसें दिल्ली, जयपुर, बीकानेर से नियमित चलती हैं।
रेल मार्ग:
नजदीकी स्टेशन:
सुजानगढ़ रेलवे स्टेशन: 27 किमी
रतनगढ़: 44 किमी
सीकर: 60 किमी
हवाई मार्ग:
नजदीकी हवाई अड्डे:
जयपुर एयरपोर्ट (184 किमी): यहाँ से टैक्सी या बस से 3.5 घंटे में पहुँचा जा सकता है।
बीकानेर एयरपोर्ट (190 किमी)
सालासर बालाजी मंदिर दर्शन समय और आरती क्रम
मंदिर खुलने का समय: प्रातः 6:00 बजे से रात 9:00 बजे तक।
गर्मियों में आरती का समय:
मंगला आरती: 5:00 AM
मोहनदास जी आरती: 5:30 AM
राजभोग आरती: 10:00 AM
धूप ग्वाल आरती: 6:30 PM
संध्या आरती: 7:30 PM
शयन आरती: 10:00 PM
मंगलवार विशेष: राजभोग महाप्रसाद आरती सुबह 10:30 बजे।
सालासर बालाजी मंदिर आसपास के दर्शनीय स्थल

1. मोहनदास जी का धूंणा
स्थान: मंदिर परिसर के पास।
महत्व: यहाँ संत मोहनदास जी ने अखंड अग्नि प्रज्जवलित की थी, जो आज भी जल रही है। भक्त यहाँ से “राख” प्रसाद के रूप में ले जाते हैं।
2.अंजनी माता मंदिर
स्थान: सालासर से 2 किमी दूर, लक्ष्मणगढ़ रोड पर।
महत्व: हनुमान जी की माता अंजनी का मंदिर। यहाँ का शांत वातावरण आध्यात्मिक शांति देता है।
3. शयनन माता मंदिर
स्थान: सालासर से 15 किमी दूर, एक पहाड़ी पर।
महत्व: 1100 वर्ष पुराना यह मंदिर रेगिस्तानी इलाके में स्थित है। मान्यता है कि यहाँ देवी शयनन की कृपा से भक्तों के कष्ट दूर होते हैं।
प्रमुख त्योहार और मेले

चैत्र पूर्णिमा: हनुमान जन्मोत्सव पर विशाल मेला लगता है। लाखों भक्त नारियल बांधने आते हैं।
आश्विन पूर्णिमा: इस दिन भी भव्य मेले का आयोजन होता है।
मोहनदास जी का श्राद्ध दिवस: वैशाख शुक्ल त्रयोदशी को मनाया जाता है। इस दिन मंदिर में विशेष पूजा और भंडारे का आयोजन होता है।
ठहरने और भोजन की सुविधाएँ
धर्मशालाएँ: मंदिर ट्रस्ट द्वारा संचालित 24 से अधिक धर्मशालाएँ हैं, जहाँ न्यूनतम शुल्क में ठहरा जा सकता है।
होटल: सालासर कस्बे में 26+ बजट से लेकर लग्जरी होटल उपलब्ध हैं।
भोजन: मंदिर के आसपास कई शुद्ध शाकाहारी रेस्तराँ और लंगर सेवाएँ उपलब्ध हैं।
विशेष टिप्स
नारियल बांधने का तरीका: मन्नत माँगते समय नारियल पर लाल कपड़ा लपेटकर मंदिर के पेड़ों या परिसर में बांधें।
पार्किंग: मंदिर के पास विशाल पार्किंग सुविधा उपलब्ध है।
सावधानी: भीड़भाड़ के दिनों में अपने सामान का विशेष ध्यान रखें।
निष्कर्ष: आस्था और शांति का केन्द्र
सालासर बालाजी मंदिर न केवल धार्मिक बल्कि ऐतिहासिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है। यहाँ का हर पत्थर, हर संस्कार और हर अनुष्ठान श्रद्धालुओं को भक्ति और विश्वास का संदेश देता है। यदि आप अपने मन की शांति और जीवन की समस्याओं का समाधान ढूँढ़ रहे हैं, तो इस पावन धाम के दर्शन अवश्य करें।

I’m Gaurav Tripathi, and through this blog, I share devotional content dedicated to Lord Hanuman. Here you’ll find powerful mantras, the Hanuman Chalisa, soulful bhajans, and fascinating facts about famous Hanuman temples across India. My mission is to spread the divine glory of Shri Hanuman Ji in a simple and heartfelt way for all devotees.