Salasar Balaji ki Aarti (सालासर बालाजी की आरती)

Salasar Balaji ki Aarti

सालासर बालाजी  (हनुमान जी) के भक्तो के लिए धार्मिक महत्व की एक जगह है| यह राजस्थान के चुरू जिले मे सालासर शहर मे स्थित है| आइये सालासर  बालाजी की आरती करते हैं।

Salasar Balaji ki Aarti

जयति जय जय बजरंग बाला,

कृपा कर सालासर वाला |

चैत सुदी पूनम को जन्मे,

अंजनी पवन ख़ुशी मन में |

प्रकट भय सुर वानर तन में,

विदित यस विक्रम त्रिभुवन में |

दूध पीवत स्तन मात के,

नजर गई नभ ओर |

तब जननी की गोद से पहुंचे,

उदयाचल पर भोर |

अरुण फल लखि रवि मुख डाला || कृपा कर सालासर वाला || 1 ||

तिमिर भूमण्डल में छाई,

चिबुक पर इन्द्र बज बाए |

तभी से हनुमत कहलाए,

द्वय हनुमान नाम पाये |

उस अवसर में रुक गयो,

पवन सर्व उन्चास |

इधर हो गयो अन्धकार,

उत रुक्यो विश्व को श्वास |

भये ब्रह्मादिक बेहाला || कृपा कर सालासर वाला || 2 ||

देव सब आये तुम्हारे आगे,

सकल मिल विनय करन लागे |

पवन कू भी लाए सागे,

क्रोध सब पवन तना भागे |

सभी देवता वर दियो,

अरज करी कर जोड़ |

सुनके सबकी अरज गरज,

लखि दिया रवि को छोड़ |

हो गया जगमें उजियाला || कृपा कर सालासर वाला || 3 ||

रहे सुग्रीव पास जाई,

आ गये बनमें रघुराई |

हरिरावणसीतामाई,

विकलफिरतेदोनों भाई |

विप्ररूप धरि राम को,

कहा आप सब हाल |

कपि पति से करवाई मित्रता,

मार दिया कपि बाल |

दुःख सुग्रीव तना टाला || कृपा कर सालासर वाला || 4 ||

आज्ञा ले रघुपति की धाया,

लंक में सिन्धु लाँघ आया |

हाल सीता का लख पाया,

मुद्रिका दे बनफल खाया |

बन विध्वंस दशकंध सुत,

वध कर लंक जलाया |

चूड़ामणि सन्देश त्रिया का,

दिया राम को आय |

हुए खुश त्रिभुवन भूपाला || कृपा कर सालासर वाला || 5 ||

जोड़ कपि दल रघुवर चाला,

कटक हित सिन्धु बांध डाला |

युद्ध रच दीन्हा विकराला,

कियो राक्षस कुल पैमाला |

लक्ष्मण को शक्ति लगी,

लायौ गिरी उठाय |

देई संजीवन लखन जियाये,

रघुवर हर्ष सवाय |

गरब सब रावन का गाला || कृपा कर सालासर वाला || 6||

रची अहिरावन ने माया,

सोवते राम लखन लाया |

बने वहाँ देवी की काया,

करने को अपना चित चाया |

अहिरावन रावन हत्यौ,

फेर हाथ को हाथ ||

मन्त्र विभीषण पाय आप को |

हो गयो लंका नाथ |

खुल गया करमा का ताला || कृपा कर सालासर वाला || 7 ||

अयोध्या राम राज्य कीना,

आपको दास बना लीना |

अतुल बल घृत सिन्दूर दीना,

लसत तन रूप रंग भीना |

चिरंजीव प्रभु ने कियो,

जग में दियो पुजाय |

जो कोई निश्चय कर के ध्यावै,

ताकी करो सहाय |

कष्ट सब भक्तन का टाला || कृपा कर सालासर वाला || 8 ||

भक्तजन चरण कमल सेवे,

जात आय सालासर देवे |

ध्वजा नारियल भोग देवे,

मनोरथ सिद्धि कर लेवे |

कारज सारो भक्त के,

सदा करो कल्यान |

विप्र निवासी लक्ष्मणगढ़ के

बालकृष्ण धर ध्यान |

नाम की जपे सदा माला,

कृपा कर सालासर || 9 ||

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