कैसे पड़ा मारुती नंदन का नाम हनुमान, बड़ी ही रोचक है कथा

कैसे पड़ा मारुती नंदन का नाम हनुमान

कहा जाता है कि भगवान हनुमान एक ऐसे देवता हैं, जिनकी आराधना से बड़ी से बड़ी बाधा तुरंत टल जाती है। बजरंगबली कलयुग के जीवित देव माने गए हैं। इनकी आराधना से सारे संकट दूर हो जाते हैं।

भगवान हनुमान की पूजा करने से शनि के बुरे प्रभाव से मुक्ति मिलती है। मान्यता है कि हनुमान जी अपने भक्तों की सारी पीड़ाएं और संकटों को दूर करते हैं।

भगवान हनुमान का मात्र नाम लेने से ही बड़ी से बड़ी संकट दूर हो जाती है। हनुमान जी को बजरंगबली, अंजनी पुत्र, पवन पुत्र, रामभक्त जैसे अनेकों नामों से जाना जाता है।

कैसे पड़ा मारुती नंदन का नाम हनुमान, बड़ी ही रोचक है कथा

पौराणिक कथा के अनुसार हनुमान जी के बचपन का नाम मारुति था। एक दिन मारुती नंदन अपनी नींद से जागे और उन्हें बहुत जोर की  भूख लग गई। उन्होंने पास के एक पेड़  पर लाल पका फल देखा, जिसे खाने के लिए वे निकल पड़े। दरअसल मारुती जिसे लाल पका फल समझ रहे थे वे सूर्यदेव भगवान थे।

कैसे पड़ा मारुती नंदन का नाम हनुमान 4
कैसे पड़ा मारुती नंदन का नाम हनुमान 4- Image Credit Canva
कैसे पड़ा मारुती नंदन का नाम हनुमान 3
कैसे पड़ा मारुती नंदन का नाम हनुमान 3-Image Credit Canva

वह अमावस्या का दिन था और राहु सूर्य पर ग्रहण लगने वाला था, लेकिन सूर्य को ग्रहण लग पाता, उससे पहले ही हनुमान जी ने सूर्य को निगल लिया। राहु कुछ समझ नहीं पाए कि हो क्या रहा है? उन्होने इंद्र देवता से सहायता मांगी। इंद्रदेव के बार-बार आग्रह करने पर जब हनुमान जी ने सूर्यदेव को मुक्त नहीं किया तब  इंद्र ने वज्र से उनके मुख पर प्रहार किया जिससे सूर्यदेव मुक्त हुए। 

वहीं वज्र के प्रहार से पवन पुत्र मूर्छित होकर पृथ्वी पर आ गिरे और उनकी ठुड्डी टेढ़ी हो गई। जब पवन देवता को इस बात की जानकारी हुई तो वे बहुत क्रोधित हुए। उन्होंने अपनी शक्ति से पूरे संसार में वायु के प्रवाह को रोक दिया, जिसके बाद पृथ्वी पर जीवों में त्राहि-त्राहि मच उठी। 

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कैसे पड़ा मारुती नंदन का नाम हनुमान 2-Image Credit Canva
कैसे पड़ा मारुती नंदन का नाम हनुमान 1
कैसे पड़ा मारुती नंदन का नाम हनुमान - Image Credit Canva

इस विनाश को रोकने के लिए सारे देवगण पवनदेव से आग्रह करने पहुंचे कि वे अपने क्रोध को छोड़ पृथ्वी पर प्राणवायु का प्रवाह करें। सभी देवताओं ने पवन देव की प्रसन्नता के लिए बाल हनुमान को पहले जैसा कर दिया और साथ ही बहुत सारे वरदान भी दिए।

देवताओं के वरदान से बालक हनुमान और भी ज्यादा शक्तिशाली हो गए, लेकिन वज्र के चोट से उनकी ठुड्ढी टेढ़ी हो गई, जिसके कारण उनका एक नाम हनुमान पड़ा।