प्रयागराज (इलाहाबाद), भारत के सबसे पवित्र शहरों में से एक, जहाँ गंगा, यमुना और सरस्वती का संगम होता है, वहाँ स्थित है बड़े हनुमान जी मंदिर प्रयागराज। यह मंदिर न सिर्फ़ अपनी धार्मिक महत्ता के लिए, बल्कि हनुमान जी की 20 फीट लंबी “शयन अवस्था” वाली दुर्लभ प्रतिमा के कारण भी प्रसिद्ध है। अगर आप इस मंदिर के इतिहास, आस्था और चमत्कारों के बारे में जानना चाहते हैं, तो यह ब्लॉग आपके लिए है!
बड़े हनुमान जी मंदिर प्रयागराज का इतिहास: क्या है पौराणिक कथा?

इस मंदिर की स्थापना को लेकर कई रोचक किंवदंतियाँ प्रचलित हैं। पुराणों के अनुसार, त्रेता युग में भगवान राम ने स्वयं हनुमान जी को संगम की रक्षा के लिए यहाँ नियुक्त किया था। कहा जाता है कि बड़े हनुमान जी मंदिर प्रयागराज की शयन मूर्ति उसी समय से यहाँ विराजमान है। एक अन्य मान्यता यह है कि समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूँदें इसी स्थान पर गिरी थीं, जिसके बाद हनुमान जी को इस क्षेत्र का रक्षक बनाया गया।
इतिहासकारों के अनुसार, मंदिर का वर्तमान स्वरूप लगभग 300 साल पुराना है, लेकिन स्थानीय लोग इसे हज़ारों साल प्राचीन मानते हैं। मुगलकाल में इस मंदिर को नुकसान पहुँचाया गया, लेकिन 18वीं शताब्दी में इसे भक्तों ने पुनर्निर्मित कराया। आज यह मंदिर प्रयागराज के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।
मंदिर की वास्तुकला: क्यों है यह अनोखा?

बड़े हनुमान जी मंदिर प्रयागराज की सबसे खास पहचान है यहाँ की विशाल शयन मुद्रा वाली मूर्ति। 20 फीट लंबी यह प्रतिमा हनुमान जी को लेटे हुए दर्शाती है, जो देश भर में दुर्लभ है। अधिकांश मंदिरों में हनुमान जी खड़े या उड़ते हुए दिखाई देते हैं, लेकिन यहाँ उनका शांत और संरक्षक स्वरूप देखने को मिलता है। मूर्ति को गहरे सिंदूर रंग से सजाया जाता है, और इसके सिर पर सुनहरा मुकुट तथा हाथ में गदा है।
मंदिर परिसर सादगी भरा है, लेकिन इसकी वास्तुकला में उत्तर भारतीय शैली की छाप साफ़ नज़र आती है। गर्भगृह के ऊपर स्थित सुनहरा कलश सूर्य की किरणों में चमकता है, जो मंदिर की भव्यता को बढ़ाता है। परिसर में छोटे-छोटे शिवलिंग और अन्य देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं, जो इसकी धार्मिक विविधता को दर्शाती हैं।
बड़े हनुमान जी मंदिर प्रयागराज का धार्मिक महत्व

इस मंदिर को “संकट मोचन” हनुमान का साक्षात स्वरूप माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि यहाँ सच्चे मन से माथा टेकने वाले भक्तों के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। विशेष रूप से मंगलवार और शनिवार को यहाँ हजारों भक्त दर्शन के लिए आते हैं।
क्या है विशेष परंपराएँ?
- भक्त हनुमान जी को सिंदूर और मिश्री चढ़ाते हैं। माना जाता है कि सिंदूर से घर में सुख-शांति आती है, जबकि मिश्री से मनोकामनाएँ पूरी होती हैं।
- यहाँ “हनुमान चालीसा” का नियमित पाठ होता है, और “बजरंग बाण” का जाप विशेष फलदायी माना जाता है।
- मंदिर में नारियल बाँधने की परंपरा भी है, जहाँ भक्त अपनी मन्नतें पूरी होने पर नारियल चढ़ाते हैं।
प्रमुख त्योहार और आयोजन
- हनुमान जयंती: चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जी के जन्मोत्सव को भव्य शोभायात्रा, भंडारे और भजन-कीर्तन के साथ मनाया जाता है।
- मकर संक्रांति और कुंभ मेला: इन अवसरों पर संगम स्नान के बाद लाखों तीर्थयात्री मंदिर में दर्शन करने आते हैं।
- रामनवमी और दीपावली: इन त्योहारों पर मंदिर को हज़ारों दीयों और फूलों से सजाया जाता है।
बड़े हनुमान जी मंदिर प्रयागराज कैसे पहुँचें?

- समय: मंदिर सुबह 5:00 बजे से रात 10:00 बजे तक खुला रहता है।
- आरती का समय: सुबह 6:00 बजे और शाम 7:00 बजे (इस दौरान दर्शन विशेष माने जाते हैं)।
- यात्रा सुझाव:
- रेलवे स्टेशन: प्रयागराज जंक्शन से मंदिर की दूरी 4 किमी है।
- हवाई अड्डा: इलाहाबाद एयरपोर्ट से 12 किमी दूर।
- सड़क मार्ग: ऑटो या टैक्सी से आसानी से पहुँचा जा सकता है।
आसपास के पर्यटन स्थल
- त्रिवेणी संगम: मंदिर से 5 किमी दूर, पवित्र नदियों का संगम।
- अक्षयवट: प्राचीन वट वृक्ष जिसका धार्मिक महत्व है।
- इलाहाबाद किला: अकबर द्वारा निर्मित ऐतिहासिक धरोहर।
निष्कर्ष: क्यों ज़रूर जाएँ इस मंदिर में?
बड़े हनुमान जी मंदिर प्रयागराज न सिर्फ़ आस्था का केंद्र है, बल्कि यहाँ का शांत वातावरण और हनुमान जी की अद्भुत शयन मूर्ति मन को गहरी शांति देती है। चाहे आप धार्मिक यात्रा पर हों या इतिहास में रुचि रखते हों, यह मंदिर आपको अवश्य आकर्षित करेगा।
जय बजरंगबली! 🙏

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