बड़े हनुमान जी महाराज(Bade Hanuman Ji Mandir Prayagraj)
श्री बड़े हनुमान जी महाराज (Bade Hanuman Ji Mandir Prayagraj) का मंदिर, जो प्रयागराज के संगम तट पर स्थित है, श्रद्धालुओं के लिए हमेशा से आस्था का प्रमुख केंद्र रहा है। यहां स्थित हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा हर वर्ष लाखों भक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इस मंदिर की एक विशेषता यह है कि हर साल गंगा नदी का जलस्तर बढ़ने पर श्री बड़े हनुमान जी जलशयन करते हैं। इस वर्ष, 11 दिन के जलशयन के बाद 24 सितम्बर 2024 से मंदिर के कपाट खुलने की घोषणा हुई है। इससे भक्तों में अपार उत्साह देखा जा रहा है।
श्री बड़े हनुमान जी मंदिर (Bade Hanuman Ji Mandir Prayagraj) का महत्व
प्रयागराज में स्थित श्री बड़े हनुमान जी का मंदिर (Bade Hanuman Ji Mandir Prayagraj) संगम से लगभग 800 मीटर की दूरी पर बंधवा क्षेत्र में स्थित है। यह मंदिर अपनी विशिष्टता के लिए जाना जाता है, क्योंकि यहां हनुमान जी की मूर्ति लेटी हुई अवस्था में है। लोग मानते हैं कि यहां मां गंगा स्वयं हनुमान जी के चरणों को पखारने आती हैं। हर साल जब गंगा नदी का जलस्तर बढ़ता है, तब हनुमान जी जलशयन करते हैं, जिसे अत्यधिक शुभ माना जाता है।
इस वर्ष भी, गंगा का जलस्तर बढ़ने से हनुमान जी 11 दिन के जलशयन में थे। जलशयन के दौरान मंदिर के कपाट बंद रहते हैं और हनुमान जी भक्तों के लिए दर्शन योग्य नहीं होते। लेकिन जब गंगा का जलस्तर कम हो जाता है और मां गंगा वापस लौट जाती हैं, तब हनुमान जी का अभिषेक पंचार्मत से किया जाता है।
जलशयन का आध्यात्मिक महत्व
महंत बलबीर गिरी जी महाराज, जो बाघंबरी मठ के प्रमुख हैं, बताते हैं कि हनुमान जी का जलशयन विशेष रूप से महत्व रखता है। उनके अनुसार, जब मां गंगा हनुमान जी के चरणों को स्नान कराती हैं, तब वह क्षेत्र अत्यधिक पवित्र हो जाता है। ऐसा माना जाता है कि यह स्नान शुभ कार्यों की सिद्धि के लिए आवश्यक होता है।
अगर किसी वर्ष गंगा हनुमान जी को स्नान नहीं कराती हैं, तो उस वर्ष क्षेत्र में सूखा पड़ सकता है और शुभ कार्यों में बाधाएं उत्पन्न हो सकती हैं। इसलिए, भक्त यह मानते हैं कि यह हनुमान जी की शक्ति और मां गंगा की कृपा है जो क्षेत्र में समृद्धि और शांति लेकर आती हैं।
11 दिन बाद खुले कपाट
हनुमान जी (Bade Hanuman Ji Mandir Prayagraj) के जलशयन के दौरान मंदिर के कपाट बंद रहते हैं, लेकिन 24 सितम्बर 2024 को सुबह 4 बजे आरती के बाद मंदिर के कपाट फिर से भक्तों के लिए खोल दिए गए हैं। जैसे ही गंगा का पानी वापस लौटा, प्रभु हनुमान जी की विधिवत पूजा-अर्चना की गई। घंटा-घड़ियाल और शंखनाद की ध्वनि के साथ पूरे प्रयागराज में भक्तों की खुशी की लहर दौड़ गई। जयकारों की गूंज के बीच, हर कोई अपने आराध्य प्रभु के दर्शन के लिए उमड़ पड़ा।
श्रद्धालुओं में उत्साह
जलशयन के बाद हनुमान जी के कपाट खुलने की खबर से श्रद्धालुओं में अपार उत्साह है। भक्तों का मानना है कि जलशयन के बाद हनुमान जी (Bade Hanuman Ji Mandir Prayagraj) के दर्शन अत्यधिक शुभ होते हैं और इससे जीवन में सुख-समृद्धि आती है। खासकर वे लोग जो किसी विशेष मनोकामना के साथ हनुमान जी के दर्शन करते हैं, उनकी इच्छाएं पूरी होती हैं।
प्रयागराज का यह मंदिर ना केवल धार्मिक दृष्टिकोण से बल्कि सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यधिक महत्व रखता है। हर साल यहां भारी संख्या में लोग आते हैं और हनुमान जी की कृपा पाने के लिए प्रार्थना करते हैं।
जलशयन की परंपरा
जलशयन की यह परंपरा बहुत पुरानी है और इसका सीधा संबंध गंगा नदी से है। मां गंगा हर साल हनुमान जी के पांव पखारने आती हैं और यह प्रक्रिया केवल इस मंदिर में ही देखने को मिलती है। यह आस्था का संगम है, जहां लोग गंगा के बढ़ते जलस्तर को शुभ मानते हैं।
महंत बलबीर गिरि जी महाराज बताते हैं कि जैसे ही गंगा नदी का जलस्तर वापस कम होता है, हनुमान जी का अभिषेक किया जाता है। इस अभिषेक के बाद हनुमान जी की आरती होती है और फिर मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाते हैं। इस बार भी, 11 दिन के जलशयन के बाद, 24 सितम्बर 2024 को हनुमान जी के कपाट खुलने पर पूरे प्रयागराज में खुशी की लहर दौड़ गई।
सारांश
श्री बड़े हनुमान जी मंदिर, प्रयागराज (Bade Hanuman Ji Mandir Prayagraj) का यह अनोखा जलशयन अनुष्ठान अपने आप में एक अद्वितीय धार्मिक परंपरा है। हर साल इस परंपरा को देखने और हनुमान जी के दर्शन करने के लिए हजारों भक्त यहां आते हैं। जलशयन की यह परंपरा न केवल आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भी बताती है कि किस प्रकार धार्मिक मान्यताएं हमारी संस्कृति और समाज में गहराई से जुड़ी हुई हैं।
अगर आप भी हनुमान जी की कृपा पाना चाहते हैं, तो इस पवित्र अवसर पर श्री बड़े हनुमान जी मंदिर, प्रयागराज में जरूर जाएं। जलशयन के बाद हनुमान जी के दर्शन अत्यधिक शुभ माने जाते हैं और इससे जीवन में शांति और समृद्धि आती है।